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तजुर्बा .........

.......…तजुर्बा .........

अदना सी बात भी
चुभ जाए अगर दिल मे
तो बन जाती है आंख की किरकिरी
प्रयासों के बाद भी वह निर्मलता नही आती...

शब्द मे भी होती है कठोरता पत्थर सी
शब्द से पिघल जाते हैं पत्थर दिल भी
शब्द जोड़ देते हैं टूटते संबंधों को
शब्द बढ़ा देते हैं दूरियां ,साथ रहकर भी...

रहें तनहा तो रखें विचार मर्यादित
समूह मे वाणी को लगाम दें
व्यक्त हो जाते हैं भाव सहज ही मन के
सफाई से हर बात साफ नही होती....

ख्याल रखें बेशक अपनों का
अपनों से अधिक उनके मर्तबे का
हासिल होती हों कामयाबियां लाख लेकिन
महत्व उससे भी अधिक है तजुर्बे का....

स्वयं के स्वाभिमान पर प्रहार
हर किसी को सहन नही होता
लाख के  हों एहसान आपके उसपर
बेचकर ज़मीर रहना नही होता .....
........................
मोहन तिवारी मुंबई

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3 Comments

Mohammed urooj khan

23-Oct-2023 02:19 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Gunjan Kamal

23-Oct-2023 08:19 AM

👌👏

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Babita patel

22-Oct-2023 10:23 AM

v nice

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